शुक्रवार, 16 अक्टूबर 2015

जो होता है अच्छा होता है

देवराहा बाबा का अक्सर कोई मुंहलगा भक्त जब अपनी कार्यसिद्धि के लिये उनसे हठकर बैठता था तो बाबा कहते, "बच्चा जैसा तुम चाहते हो वह हो जाय तो अच्छा ही है किंतु न हो तो और भी अच्छा!" एक बार गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व आचार्य तथा अध्यक्ष डॉ. भगवती प्रसाद सिंह ने महामहोपाध्याय पंडित गोपीनाथ कविराजजी से देवराहा बाबा की इस बात का जिक्र करते हुए पूछा था कि गुरुदेव! देवराहा बाबा के इस कथन का आखिर रहस्य क्या है? कविराजजी बोले, "ठीक ही तो है ...बाबा का तात्पर्य रहता है कि यदि निवेदक का इष्ट सिद्ध हो जाय तो उसकी इच्छा पूरी होती है.. यह प्रारब्धानुसार होता है जो सामान्य बात है किंतु परिणाम उसकी इच्छा के विपरीत होने पर भगवान की इच्छा पूरी हो रही है , यह समझकर ईश्वरीय न्याय को सहर्ष स्वीकार करना चाहिए.
आस्तिकता की यही कसौटी है."

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