शुक्रवार, 16 अक्टूबर 2015

लट्ठमार माफी

लोगों के 'आशीर्वाद' से जिंदगी में हम बहुत आगे पहुंच आये हैं जहां भी गये जिसके पास भी गये लोगों ने कहा आगे जा..आगे जा..पर अफसोस मंजिल अभी भी बाकी है..पर पता नहीं क्यूं बिना कोई अपराध किये ही हर रोज सैकड़ों लोग हमसे माफी मांगते रहते हैं..कहते हैं...माफ करो...वैसे माफी मांगना विनम्रता का पर्याय होता है मगर एक बात समझ में आजतक नहीं आयी कि अस्सी फीसदी (शायद फिसड्डी) लोग कुछ इस तरह से माफी मांगते हैं जैसे कि डांट रहे हों..जिसे कह सकते हैं लट्ठमार माफी..जब माफी ऐसे मांगते हैं तो ये माफी देते कैसे होंगे..ये मारने की यदि सोच लें तो बिना अस्पताल गये ही टिकट कट जायेगी..समझ में नहीं आयी कि ये ऐसे माफी क्यों मांगते है भला?

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