परायों को ठुकराना आसान है..
क्योंकि उनसे हमारा
खुन का रिश्ता नहीं है..
वहां हमारा अहंकार बड़ा होता है..
ठुकराये गये अपनों को अपनाना बड़ा ही कठिन..
चाहते हुए भी नहीं अपना पाना..
यहां भी एक ही वजह है..
हमारा अहंकार बड़ा होता है.
क्योंकि उनसे हमारा
खुन का रिश्ता नहीं है..
वहां हमारा अहंकार बड़ा होता है..
ठुकराये गये अपनों को अपनाना बड़ा ही कठिन..
चाहते हुए भी नहीं अपना पाना..
यहां भी एक ही वजह है..
हमारा अहंकार बड़ा होता है.
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