न चाहते हुए भी
दिख ही जाते हैं
भिखमंगे
खैरात में दे ही देते हैं लोग
दुआएं लाखों
अगर ये उनका ढोंग नहीं है
तो
बिना कठोर परिश्रम के
जैसे मुश्किल होता है एक ओहदा हासिल करना
स्नातक, स्नातकोत्तर होना
ऐसे ही कठिन होता होगा
एक भिखारी बनने में
-राकेश कुमार श्रीवास्तव
दिख ही जाते हैं
भिखमंगे
खैरात में दे ही देते हैं लोग
दुआएं लाखों
अगर ये उनका ढोंग नहीं है
तो
बिना कठोर परिश्रम के
जैसे मुश्किल होता है एक ओहदा हासिल करना
स्नातक, स्नातकोत्तर होना
ऐसे ही कठिन होता होगा
एक भिखारी बनने में
-राकेश कुमार श्रीवास्तव
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